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BENEFITS OF YOGA 21 DAYS - योग करने के २१ दिन बाद

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     दोस्तों योग के बारे में बताने से पहले हम आपको अपने भारत के कुछ विशेषताओं के बारे में बताना चाहते है।   हमारे भारत की पहचान हमारी संस्कृति, ऋषि-मुनियों, वेद, पुराण, आयुर्वेद, योग,परंपरा तथा हमारे संस्कार  इत्यादि मुख्य वस्तुओं से है। आजका भारत अपने परम्पराओं को भूलता जा रहा है। हमारी सभ्यता, हमारी आयुर्वेद आज विदेशो के लोग भी अपना रहे है। लेकिन बड़ी दुःख की बात यह है की हमारे देश के लोग इनका मजाक उड़ाते है। लेकिन कोई बात नहीं हम पूरी कोशिश करेंगे। हमारे संस्कृति और परम्पराओं को फिर से प्रचार करने की। विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे देश की संस्कृति नष्ट करने की पूरी कोशिश की। नालंदा एवं तक्षशिला जैसे बड़े विश्वविद्यालयों को जला दिया। नालंदा के पुस्तकालय में इतनी किताबें थी की वह ३ महीने तक जलती रही। हमारे कितने ही ऐसे पुस्तकों को नष्ट कर दिया, जिसमे आयुर्वेद एवं बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियां थी। ऐसा कहा जाता है की आज का विज्ञान जिन चीजों के रहस्य को सुलझा नहीं सकता, उन सब का जवाब भी हमारे कई पुस्तकों में था। हमारे ऋषि मुनियों ने योग साधना से कई गुप्त रहस्यों के जवाब एवं खतरनाक से खतरनाक

kavita Prakriti ke liye- कविता प्रकृति के लिए

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करूँ तो करू क्या तेरी तारीफ, करु तो करु क्या तेरा दीदार, ए प्रकृति, ए धरा! ए नटी , ए वसुन्धरा! तू ही बता लिखुं तो क्या मैं लिखू, करू तो क्या मैं करू। तेरी स्वच्छंद पवन को, हमने ही धुंधला किया। तेरे नीले अम्बर को, हमने ही काला किया। स्वर्ण से चमकते दामन को, हमने ही फाड़ दिया।‌। तेरी सारी सुंदरता को, हमने ही बरबाद किया। माफ़ी मांगू तो क्या मैं मांगू , बोलू तो क्या मैं बोलू  तू ही बता प्रकृति, आज तेरे क्रोध को, मैंने ही श्राप कहा । तेरे रुखे केशों का, मैंने ही अपमान किया । अपने मतलब के लिए, अन्य जीवो का नाश किया।। माफ कर प्रकृति, माफ़ कर माँ, मेरे पास शब्द नहीं क्या मैं कहूं ! क्या ही मैं कहूं  आज तेरे रूप के हम ही जिम्मेदार हैं  मैं भी जिम्मेदार हुं।  SOURCE - टेलीग्राम ग्रुप में  भाग्यश्री द्वारा लिखित   kavita Prakriti ke liye- कविता प्रकृति के लिए

वृक्ष ईश्वर का दूसरा रूप है Vriksha iswar ka dusra roop hai

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  वृक्ष ईश्वर का दूसरा रूप है निस्वार्थ कर्म का सबसे अच्छा उदाहरण यदि कोई हो सकता है, तो वह वृक्ष है। यह हमें फल देता है, प्राण वायु देता है, छाया देता है लेकिन बदले मे हमसे कुछ नहीं चाहता है। यह कोई भी जाती धर्म देखे बिना हम सभी को Oxygen देता है इसलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम भी बिना जाती धर्म देखे बिना इनका रोपण करे देखभाल करे। वृक्षारोपण से पुण्य काम और कुछ हो ही नहीं सकता 

धैर्य की फिल्म dhairya ki film - ek choti kahani

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एक बार एक थिएटर में एक शार्ट फ़िल्म दिखाई गई । जब फ़िल्म शुरू हुई तो सामने एक सफेद रंग का पंखा दिख रहा था। आस पास कोई हलचल नही सिर्फ रुका हुआ एक सफेद पंखा, ये दृश्य करीब 6 मिनट तक चलता रहा तो लोग आपत्ति जताने लगे कुछ शिकायत करने लगे। कुछ तो उठ कर जाने लगे। करीब 6 मिनट के बाद सीन का कैमरा उस पंखे से नीचे आता है एक बेड पर जिसपे एक अपाहिज बच्चा लेटा हुआ और ऊपर की ओर देख रहा होता है जिसकी रीढ़ की हड्डी में फैक्चर की वजह से वह हिल डुल भी नही सक रहा था।  फिर एक आवाज आती है " अभी इस शार्ट फ़िल्म में मात्र 6 मिनट तक एक ही दृश्य लगातार दिखाया गया आप सभी को, उन 6 मिनटों में कई लोग चिल्लाने लगे धैर्य नही रख पाए और कई उठ कर जाने लगे, दूसरी तरफ एक बच्चा है जो पैरालाइज्ड है और वो अपने जीवन के ज्यादातर घंटे बस इसी दृश्य को ही देखता रहता है। कभी-कभी हमें खुद को दूसरों की जगह रखकर यह समझने की ज़रूरत होती है कि हमें जो ईश्वर ने दिया है उसकी महत्ता कितनी है और हमें ऐसे स्वरूप को प्रदान करने के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए। हमेशा अपनी समस्याओं को उनसे तुलना करें जो हमसे कई गुना समस्याओं से घिरे ह

यात्रा बहुत छोटी है - journey is too short hindi story

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 एक वयस्क महिला बस में यात्रा कर रही थी। अगले पड़ाव पर एक मजबूत, क्रोधी युवती चढ़ गई और बूढ़ी औरत के बगल में बैठ गई।  उस लड़की को बैग के साथ बैठने में परेशानि हो रही थी तो उसने बूढ़ी औरत को अपने बैग से चोट पहुंचाई। और इस तरह कई बार अपने बैग से उस बुजुर्ग महिला को धकेलती रही। जब उसने देखा कि वह बुजुर्ग महिला चुप है, तो आखिरकार युवती ने उससे पूछा कि जब उसने उसे अपने बैग से मारा तो उसने शिकायत क्यों नहीं की? बुज़ुर्ग महिला ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया: "असभ्य होने की या इतनी तुच्छ बात पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपके बगल में मेरी यात्रा बहुत छोटी है और मैं अगले पड़ाव पर उतरने जा रही हूं।" उस बूढी महिला के वाक्य का उस युवती पर बहुत गहरा असर हुआ और वह चिंतन करने लगी, यह उत्तर सोने के अक्षरों में लिखे जाने के योग्य है: "इतनी तुच्छ बात पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमारी यात्रा एक साथ बहुत छोटी है।" हम में से प्रत्येक को यह समझना चाहिए कि इस दुनिया में हमारा समय इतना कम है कि इसे बेकार तर्कों, ईर्ष्या, दूसरों को क्षमा न करने तथा असंतोष और ब

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में ८ रोचक बातें - 8 FACT ABOUT DR. APJ ABDUL KALAM

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क्या आप किसी अदभुत व्यक्ति से प्रेरित होना चाहते हैं? जाने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में ८ रोचक बातें - 8 FACT ABOUT DR. APJ ABDUL KALAM १. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्हें "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में भी जाना जाता है, वे एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। २. रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में जन्मे, उन्होंने भारतीय इतिहास में सबसे सम्मानित शख्सियतों में से एक बनने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया। ३. भारत के रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उनका योगदान अभूतपूर्व था, जिसके कारण उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न 1997 में मिला। ४. अब्दुल कलाम सिर्फ एक वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक महान शिक्षक और गुरु भी थे, जिन्होंने अनगिनत युवाओं को बड़े सपने देखने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।   ५.  वे भगवत गीता और कुरान दोनों का अध्यन करते थे - SOURCE WIKIPEDIA   ६. वे सिर्फ शाकाहारी भोजन ही करते थे।    ७. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आजीवन अविवाहित रहे।  ८ .  उनकी जीवन कहानी दृढ़ता, समर्पण और विनम्रता की शक्ति का

ताकतवर कौन है - WHO IS MOST POWERFUL HINDI STORY

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सबसे ताकतवर कौन है ? एक समय की बात है, एक दिन गुरुकुल के शिष्यों में इस बात पर बहस छिड़ गयी कि आखिर इस संसार की सबसे ताकतवर वस्तु क्या है ? कोई कुछ कह रहा था, तो कोई कुछ और।   जब पारस्परिक विवाद का कोई निर्णय न निकला तो सभी शिष्य गुरुजी के पास गए। सबसे पहले गुरूजी ने उन सभी बच्चो की बातों को सुना और कुछ देर सोचने के बाद बोले– तुम सब की बुद्धि खराब हो गयी है क्या ? यह बेकार निरर्थक प्रश्न क्यों कर रहे हो ? इतना कहकर वे वहाँ से चले गए।  हमेशा शांत स्वाभाव में रहने वाले और हर प्रश्न का उत्तर देने वाले गुरुजी से किसी ने इस प्रकार की प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की थी। सभी शिष्य क्रोधित हो उठे और आपस में गुरु जी के इस व्यवहार की आलोचना करने लगे।    अभी वे आलोचना कर ही रहे थे कि तभी गुरु जी उनके समक्ष आ पहुँचे और बोले– ‘मुझे तुम सब पर गर्व है, तुम लोग अपना एक भी क्षण व्यर्थ नहीं करते और अवकाश के समय भी ज्ञान की चर्चा किया करते हो।’    गुरु जी से प्रशंसा सुनकर शिष्य बहुत आनन्दित हो गए, उनका स्वाभिमान जाग्रत हो गया और सभी के चेहरे खिल उठे। गुरूजी ने फिर अपने उन सभी शिष्यों को समझाते हुए कहा– ‘मेर

दूध और पानी की मित्रता - DUDH AUR PANI KI DOSTI

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दूध और पानी की दोस्ती जब पानी दूध में मिल जाता है तो वह अपना नाम और पहचान सब खो देता है, तो दूध ने पानी से कहा ए मेरे दोस्त तुम मुझ से कितना प्रेम करते हो ? जब मुझ में मिल जाते हो तो न तो अपना नाम और पहचान सब खो देते हो लेकिन कोई बात नहीं आज से मैं अपना पहचान दूंगा अपना नाम दूंगा अपना रंग दूंगा और तो और मैं अपने दामों भी तुझे बाजार में बिकवा दूंगा। जब दूध और पानी बाजार में बिके तो खरीदने वाले ने बर्तन में रख कर चूल्हे पर चढ़ाया, जब दूध गरम हुआ तो पानी ने कहा दोस्त तुम घबराना मत तुम्हें जलने से पहले मैं खुद को जला दूंगा। जब दूध गरम हो गया तो पानी जलने लगा और पानी को जलता देखकर दूध को रहा नही गया, वो बर्तन से बाहर निकलकर आग को बुझाने के लिए दौड़ पड़ा और बोला अरे यार तुम मेरे दोस्त को जलायेगा, मेरे दोस्त को जलने से पहले मैं तुझे ही जला दूंगा। मित्रों, दोस्ती ऐसी ही होनी चाहिए।  एक पर संकट आये तो दूसरा उसके लिए खड़े हो जाये और उसके हर मुसीबत में उसके हर सुःख दुःख में साथ खड़ा रहे। जिसने सच्ची दोस्ती की होगी ना उसको ये कहानी उसके दिल पर लगी होगी। आगे पढ़े.. धैर्य की शक्ति हिंदी मोटिवेशनल स्टोर

भय के आगे विजय है - Dar Ke Aage JEET hAI

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किसी की सफलता में रुकावट आना, उसका डर एक बड़ा कारण होता है। डर हमेशा सपनों का सबसे बड़ा हत्यारा होता है। हम अपने सपनों का पीछा करने से बचते हैं क्योंकि हमें रास्ते में आने वाली बाधाओं का भय होता है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले ही हम आत्म-संदेह और चिंता के एक चक्रव्यूह में फंस जाते हैं और हम सफलता की डगर पर कभी आगे बढ़ ही नहीं पाते हैं। "मै बेहतर नहीं हूं या फिर अगर मैं विफल हो गया तो" बहुत बड़ी संख्या में लोग किसी काम को करने का पहला प्रयास इसी डर की वजह से से नहीं कर पाते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि हर विफलता के साथ सीखने, बढ़ने और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है। बेशक, किसी भी कार्य को करने के साथ हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि उसमें असफल भी हो सकते हैं लेकिन इसकी वजह से कोई कार्य करना ही छोड़ दिया जाय यह तो सही नहीं है। एक डरपोक इन्सान मार्शल आर्ट के शिक्षक के पास आया और उसे बहादुरी सिखाने के लिए कहा। गुरु ने उसकी ओर देखा और कहा: मैं तुम्हें केवल एक शर्त के साथ सिखाऊंगा:- एक महीने के लिए तुम्हें एक बड़े शहर में रहना होगा और रास्ते में मिलने वाले हर व्यक्ति को बताना होगा कि