DHANURDHARI ARJUN (धनुर्धारी अर्जुन)
DHANURDHARI ARJUN (धनुर्धारी अर्जुन)
एक बार गुरू द्रोणाचार्य ने अपने पांचो पांडव शिष्यों की परीक्षा लेनी चाही की उनमे सबसे सर्वश्रैष्ठ धनुर्धारी कोण है। इसलिए उन्होंने अपने सभी शिष्यों को बुलाया और उन्हें एक पेड़ के पास ले गया। उस पेड़ पर एक मिट्टी की चिड़िया बनी हुई थी।गुरूजी ने कहा, शिष्यों उस पेड़ पर एक चिड़ियाँ बैठी हुई है, उसके आँख को तुम्हे भेदना है। सब शिष्य तैयार हो गए, गुरूजी ने सब से पहले युधिष्ठिर को बुलाया और उसे निशाना लगाने को कहा, उसने निशाना लगाया। उसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने उससे सवाल पूछा की बताओ तुम्हे क्या दिखाई दे रहा हे?
युधिष्ठिर ने जवाब दिया, गुरु जी मुझे पेड़, चिड़ियाँ, आकाश, आप और सभी भाई दिखाई दे रहा है। गुरूजी ने उसे बाण चलाने से मना कर दिया। उसके बाद भीम को बुलाया भीम ने भी निशाना साधा और गुरूजी ने वही सवाल पूछा ?
भीम ने उतर दिया गुरूजी मुझे पेड़, पत्ते , चिड़ियाँ दिखाई पड़ रहा है। गुरूजी ने उसे भी रोकते हुए अन्य शिष्यों को बुलाया सब ने समान उतर दिया।
तोते की बन्धन
अंत में गुरूजी ने अर्जुन को बुलाया और उसने निशाना साधा और गुरुजी ने उससे पूछा अर्जुन तुम्हे क्या दिखाई दे रहा है? अर्जुन ने कहा गुरूजी मुझे पक्षी की आँख दिखाई पड़ रहा है। गुरूजी ने फिर से पूछा अर्जुन ध्यान से देखो और क्या दिख रहा है?
अर्जुन ने फिर से कहा गुरूजी मुझे सिर्फ पक्षी की आँख ही दिखाई दे रहा है। गुरु द्रोणाचार्य ने तभी अर्जुन को बाण चलाने की आज्ञा दी। और उसका निशाना चिड़ियाँ की ठीक आँख पर लगी। तब गुरूजी ने सब शिष्यों से कहा शिष्यों सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी वही हो सकता है, जिसका पूरा ध्यान अपने निशाने पर होता है।
शिक्षा : मित्र , जीवन में सिर्फ वही सफल होता है जिसका ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य के ऊपर होता है।
हमेशा जीवन में एक लक्ष्य बनाये उसमें सफल हों उसके बाद अन्य लक्ष्य की तरफ अपना ध्यान दें।
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