Mehnat ki kamai
Mehnat ki kamai
माधवपुर नाम का एक छोटा गांव था। वहाँ एक मोतीलाल नाम का सेठ रहता था। उसका एक बेटा था जिसका नाम गोपाल था। वह बहुत हि आलसी और कामचोर था , वह दिन भर इधर उधर आवारा लड़को के साथ भटकता रहता था। और घर से पैसे लेकर व्यर्थ की चीज़ो मे बर्बाद कर देता था, इससे सेठ मोतीलाल बहुत चिंतित रहते थे की न जाने क्या होगा इसका भविष्य पैसों के मोल को समझता नहीं है, पढाई लिखाई छोड़ दिया और कुछ काम भी नहीं करता है।एक दिन गोपाल और गांव के एक लड़के के बिच लड़ाई हो गयी और उस लड़के के माता-पिता उसके घर शिकायत करने आ गए । इससे सेठ को बहुत गुस्सा आया और उसने गोपाल को घर से निकाल दिया और कहा दिन भर आवारागर्दी करते हो और अब झगड़े भी करने लगे। निकल जाओ घर से और कुछ कमाके लाओ नहीं तो खाने को नहीं मिलेगा। गोपाल वहाँ से चला गया और एक बगीचे मे जाकर बैठकर सोचने लगा, कि क्या किया जाए पिताजी तो बहुत गुस्से में हैं। कुछ देर बाद वह अपनी माँ के पास गया और कहा - माँ मुझे अभी के लिए कुछ पैसे देदो मैं काम करके तुम्हें पैसे दे दूँगा। माँ को दया आ गयी और उसे कुछ पैसे दे दिए। और वह शाम को पैसे ले जाके पिताजी को दिया। सेठ समझ गए कि इसने जरूर किसी से पैसे मांगे है इसलिए उसने उस पैसे को तालाब में फेंकने को कहा, गोपाल ने वही किया ओर अगले दिन फिर सेठ ने उसे कमाकर लाने को कहा उसने सोचा माँ तो अब पैसे देगी नहीं अब कहाँ से पैसे लाऊ,तभी उसे याद आया कि क्या पता उसके बहन के पास कुछ पैसे हो चलो देखते है ओर वो अपने बहन के पास गया और उसने भी बचाये हुए पैसो से कुछ पैसे दे दिए। उसने फिर वह पैसे सेठ को जाकर दिया और सेठ ने फिर से उसे पैसों को तालाब मे जाकर फेकने को कहा उसने फिर तालाब में जाकर फेंक दिया। इसबार सेठ ने अपने पत्नी और बेटी को समझा दिया कि गोपाल अगर पैसे मांगे तो मत देना।
अगली सुबह सेठ ने उसे कहा कि गोपाल आज तुम शहर जाओगे और वहां से पैसे कमाके लाओगे। गोपाल ने कहा पर पिताजी.... सेठ ने उसे रोकते हुए कहा कोई बहाना नहीं जाओ और कमाके लेके आओ। गोपाल दुखी मन से शहर गया ,एक दुकानदार से पूछा भईया कुछ काम मिलेगा ? दुकानदार ने कहा - क्या काम जानते हो कोई काम किया है कभी ? गोपाल ने कहा -नहीं। दुकानदार ने कहा - तुम्हारे लिए कोई काम नहीं है जाओ और कहीं देखो। गोपाल ने कहा भईया मुझे कुछ भी काम दे दीजिए मे करूँगा। दुकानदार ने कहा- ठीक है ,थोड़ी देर रुको ट्रक से भरा समान आने वाला है उसे उतारकर रखना है, उसने कहा ठीक है। जब गाड़ी आयी दुकानदार ने उसे सामान उतारने को कहा उसने देखा कि बड़े बड़े बोरे में आलू भरा हुआ है। उसने कभी इतना भारी काम नहीं किया था, लेकिन उसके पास कोई उपाय न था, इसलिए वह अपने पीठ पर लाद कर सभी बोरों को एक एक करके उतारने लगा उसके पीठ और कमर में तेज़ दर्द होने लगा था, किसी तरह उसने काम पूरा किया। दुकानदार ने उसे 100 रुपये दिये वह अब खुशी मन से घर आने लगा।
घर आते ही उसने सेठ को पैसे दे दिये सेठ ने उसके तरफ देखा उसके कपड़े गंदे थे और वह थका हुआ लग रहा था। सेठ समझ गया कि वह काम करके ही पैसे लाया है। सेठ ने उसे फिर से उस रुपये को तालाब में फेंकने को कहा। गोपाल झल्लाते हुए कहने लगा , ये क्या पिताजी में इतनी मेहनत से ये पैसे कमाके लाया हूँ , इसे कमाने मे मेरा पीठ और कमर मे तेज दर्द हो रही है, और आप इसे तालाब में फेंकने को कह रहे हैं । पिताजी ने कहा - बेटे अब समझे पैसे कमाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है और तुम मेरे पैसे को यूहीं बर्बाद करते थे। गोपाल को अपने गलती का एहसास हुआ। उसने सेठ से क्षमा मांगी और कहा पिताजी आज से में खूब मेहनत करूँगा, कभी पैसों को यूहीं बर्बाद नहीं करूंगा।
शिक्षा : हमें अपने जीवन को व्यतीत करने के लिए पैसे की जरुरत पड़ती है , इस आधुनिक युग में पैसे हमारे जीवन की मूल आवश्यकता है इसलिए इसके कीमत को समझते हुए इसे व्यर्थ न करे। मेहनत करे और समय का सदुपयोग करे।
इसे भी पढ़े ....१ https://www.indiamotivation.com/2019/05/swami-vivekananda-ki-sahas-dene-wali.html
२ https://www.indiamotivation.com/2019/04/dhanurdhari-arjun.html
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