TOTE KI BANDHAN

TOTE KI BANDHAN BY MOTIVATION QUOTE AND STORY IN HINDI

  TOTE KI BANDHAN(तोते की बंधन )

एकबार की बात है , एक गांव में एक व्यापारी रहता था। उसके पास एक तोता था जो एक पिंजरे में बंद था। व्यापारी  के घर मे हर महीने पूजा होता था और जो पंडित जी पूजा करने आता था, वह उस तोते से बहुत परेशान रहता था। पंडित जी जब भी कथा के अंत में यह कहता की " हरी का नाम लो तो बंधन छूटे " तो तोता उस समय कहता पंडित जी झूठे है। इस तरह पंडित जी हर बार पूजा करने आता और तोता उन्हें झूठा कहता। तंग आकर एक दिन पंडित जी अपने गुरु के पास गया और कहा गुरूजी में एक व्यापारी के घर पूजा करने जाता हूँ, वहां एक तोता है जो मेरा अपमान करते रहता है, में जब भी कहता हूँ " हरी नाम लो तो बंधन छूटे " वह तोता मुझे झूठा कहने लगता है। गुरूजी ने कहा -  उस तोते के पास ले चलो मुझे।

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वह दोनों तोते के पास पंहुचे और उस तोते से गुरूजी ने पूछा क्यों तोते महाराज तुम्हे ये पंडित झूठा क्यों लगता है?  तोता अपनी कहानी बताने लगा।

TOTE KI BANDHAN BY MOTIVATION QUOTE AND STORY IN HINDI
तोते ने कहा - गुरूजी में एकबार उड़ता-उड़ता एक आश्रम के पास पंहुचा और एक पेड़ पर जाकर बैठ गया। वहां उसी पेड़ के निचे  गुरु शिष्यों को मंत्र सीखा रहे थे। मेने उस मंत्र को याद कर लिया। और में भी उनके साथ वह मंत्र दोहराने लगा। वहां बैठे बालको ने सुना और कहा ये तो अद्भुत तोता है, चलो इसे पकड़ते है। और उन्होंने मुझे पकड़ कर एक छोटे पिंजरे में डाल दिया। उसके कुछ दिन बाद यह व्यापरी आया उसने जब देखा में मंत्र बोल सकता हूँ। तो उसने  मुझे अपने घर ले आया और एक बड़े पिंजरे में डाल दिया। यह व्यापरी पैसे वाला है इसलिए कुछ दिन पहले एक चांदी का पिंजरा खरीदकर ले आया और इसमें डाल दिया। मेने हरी का नाम लिया और पिंजरे में चला गया, मेरी बंधन नहीं छूट रही है और ये पंडित कहता है हरी नाम लो तो बंधन छूटे, तो इसे झूठा न कहूं तो और क्या कहूँ।
गुरूजी तोते के पास आये और धीरे से उसके कान में कुछ कहा और चला गया एंव पंडित से कहा अब ये तुम्हे कुछ नहीं कहेगा।

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TOTE KI BANDHAN BY MOTIVATION QUOTE AND STORY IN HINDIअगली  सुबह व्यापरी का बेटे ने देखा की तोता एक किनारे पर पड़ा हुआ है। वह बिल्कूल हिल-डुल नहीं कर रहा है। उसने पिंजरा खोला और सबको आवाज़ लगायी की तोता मर गया है। सब परिवार वाले बाहर आ रहे थे और उसने उसे जैसे ही बाहर निकाला वह फुर्र से उड़ गया। और उड़ते-उड़ते कहा "गुरु ज्ञान मिले तो बंधन छूटे" 



शिक्षा :- हर किसी के जीवन में गुरु की आवश्यकता है। जो उसे सही रास्ता दिखा सके सही सलाह दे। गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर होता है क्योंकि ईश्वर का ज्ञान और उन्हें पाने का रास्ता हमें गुरु ही बताता है। 
इस संदर्भ में कबीर दास जी ने अपने दोहे के माध्यम से गुरु की विशेषता बताया है -
   
१. गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागु पाय  
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय। 

२. कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और 
हरी रूठे गुरु ठौर है, गूरु रूठे नहीं ठौर।



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