SAVE EARTH - THE HUMAN'S FUTURE STORY(धरती बचाओ - मनुष्य की भविष्य की कहानी)
SAVE EARTH
प्रारंभ
विशाल ब्रम्हांड के एक छोटे से कोने में एक आकाशगंगा में हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से मिलकर कई तारों का जन्म होता है।
उन तारों के उत्पति के समय बचे हुए गैसों से गैस पिंड का निर्माण होता है। वे सारे गैस पिंड ठंडा होकर धीरे धीरे ग्रहो का रूप लेता है। इस प्रकार इस ब्रम्हांड में अनेको तारों और ग्रहों का जन्म हुआ। उनमें से एक अनोखा तारा जिसके चारों और कई ग्रहो में एक अद्भुत ग्रह बनता है। जो धीरे- धीरे ठंडा होता है और बहुत ही सुंदर नीले रंग का दिखाई पड़ता है।
उसपर विशाल समुद्र लहराते हुए गर्जन करता है। धीरे धीरे उसपर जीवन पनपता है। चारो तरफ हरियाली और सुन्दर नदी, झील, पहाड़ और कुछ पशु पक्षी दिखाई पड़ते है। साथ ही एक और जिव की उत्पति होता है, जो देखने में कुछ कुछ बन्दर जैसा था, लेकिन सभी जीवो से ज्यादा होशियार। यह अपने आपको बड़े ही तेजी से विकसित करने लगे। इन्होने कई भाषाएँ सीखी। लिखने और पढ़ने की कला भी सीखी। इन्होने इस ग्रह का नाम रखा पृथ्वी और दूर चमकते तारे का सूर्य और अपने आप को इंसान कहने लगे। यह धरती को माता मानने लगे।
फिर धीरे धीरे कुछ इंसान के अंदर शैतान नामक एक प्राणी ने जन्म लिया। इसमें लालच क्रोध और ईर्ष्या ज्यादा थी। ये अब आपस में जमीन के लिए लड़ने लगे। जिस इंसान की पूरी पृथ्वी है, वह इन्हे कई देशो में बंटवारा करके वापस इसे पाने के लिए लड़ने लगे। कुछ सालो तक ऐसा चलता रहा कई विशाल योद्धाओं ने जन्म लिया। बहुत खून बहाया इंसानो का लेकिन इंसान का कैसे ये तब तक तो इंसान से दूसरे धर्म में बंट चुके थे। ये उस समय किसी और धर्म के लोगो का खून बहा रहे थे, वो इंसान थोड़ी थे ये तो इनसे अलग थे। उस समय कई महान इंसान भी आये। जिन्होंने इन्हे एक करने की कोशिश की और दुनिया में शांति लायी। इन महान व्यक्तियों के गुजरने के बाद फिर से इन्होने महान इंसानो के नाम पर एक नया धर्म बना लिया। तुम उसको मानते हो, तुम वो हो। में उनको मानता हूँ, में ये हूँ।
वर्तमान
अब शुरू होता है, मध्यांतर युग। अब इंसान अपनी आबादी बढ़ाने पर जोर देने लगे हैं, क्योंकि इनका धर्म संकट में है। इंसान जंगलो का सफाया करने लगे है, और बड़ी -बड़ी इमारते, नई कल कारखाने बना रहे है और साथ में गन्दगी भी फैला रहे है।नई टेक्नोलॉजी ला रहे है। मोबाइल ,कंप्यूटर, कित्रिम उपग्रह, क्या दिमाग लगाई है, लेकिन जब प्रदूषण को रोकने की बात आती है, तो इनका दिमाग बंद हो जाता है। जानवर और पक्षी तो पता नहीं कैसे लुप्त होते जा रहे है। इसमें इंसान का नाम ही नहीं आ रहा है। कुछ पक्षी कीड़े-मकोड़े और मरे हुए जानवर को खाकर सफाई में हमारी मदद करते है।
आज मोबाइल टावर के विकिरण के कारण कितने पक्षी लुप्त होते जा रहे है। जिसके कारण न जाने कितने कीड़े-मकोड़े बढ़ गए हैं जो फसलों और सब्जियों को नुकसान पंहुचा रहे है। इंसान धरती, आकाश, पाताल तीनो पर कब्जा कर रखा है। सारे ताकत इन्ही के हाथ में है, लेकिन अभी भी कुछ इंसानो को काला जादू और भूतो में ज्यादा शक्ति दिखाई देती है।
इंसान इस दुनिया की सब जीवो मे श्रेष्ठ है। लेकिन अपने स्वार्थ के कारण ये किसी की परवाह नहीं कर रहे है। यह विनाश की और लगातार बढ़ रहे है। हमारी पृथ्वी खतरे में हैं, दिन के दिन प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है, जो हमारी मिट्टी हवा और जल तीनो को बर्बाद कर रही है। नदियां, समुद्र और जंगल हर जगह प्रदूषण फैला हुआ है। आप कहीं भी जाइये आपको कुछ मिले या न मिले लेकिन प्लास्टिक की चीज़े पड़ी हुई जरुर मिलेगी। लेकिन फिर भी इसपर कोई रोक नहीं है। इंसान दिखावे मे चल रहा हे। इन्हें जुट और कपडे के बने थैला ले जाने में शर्म आती है। लेकिन ये प्लास्टिक का प्रयोग करेंगे, ये इनके व्यक्तित्व को शोभा देती है। सभी को ऑक्सिजन चाहिए लेकिन ये पेड़ नहीं लगा सकते है। सभी को साफ रहना पसंद है, लेकिन ये सफाई नहीं करना चाहते हैं। कोई अगर इन सब के विरूद्ध खड़ा हो जाये, तो उनका साथ देने के बजाय उन्हें भी ये कहकर दबा देंगे की तेरे अकेले से क्या होगा तू बदलेगा देश।
अब आती है धर्म की बात। हर धर्म का ठेकेदार बैठा हुआ है जिसे ईश्वर क्या है स्वयं पता नहीं लेकिन उनको बांटकर लगे हुए है लड़ाने में। ईश्वर शांति और प्रेम चाहता है। धर्म की किताबों में एकता और शांति की बात है लेकिन इंसान उन किताबो को पढ़ने की जगह किसी और से सुनना ज्यादा पसंद करते है। और अगर पढ़ाने वाला सही पढ़ा रहा है, तो इतनी नफरत कहाँ से आयी।
सभी जीवों की रचना ईश्वर ने की है, तो इंसान को बनाने वाला अलग ईश्वर कैसे हो सकता है। इस पृथ्वी पर हर जिव एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य पेड़-पौधों, जल, हवा और जानवरों पर निर्भर है। उसी तरह जानवर, पेड़-पौधो इंसान पर निर्भर है। और इंसानो का यह फर्ज़ बनता है की वह इन सब की परवाह करे तभी इस धरती की संतुलन बनी रहेगी। आपस में धर्म के नाम पर लड़कर क्या कर लोगे। किसको बचाने में लगे हुए हो जिसको बचाना चाहते हो क्या वो तुम्हारे लिए पेड़ लगाएंगे, क्या वो तुम्हारी गन्दगी साफ करेंगे। हम इंसान सच जानते हुए भी इनसे मुह फेरे हुए है। ओर ये सब जो भी कर रहा है सब पैसे के लिए ही कर रहा है। ऊपर बैठा बुद्धिमान इंसान शतरंज की खेल में मोहरों के जैसा हमारा इस्तेमाल कर रहे है। ओर हम अपना दिमाग बंद करके जो हुकुम मेरे आका कहके उनके इशारे पर चल रहे गलत सही का फर्क भूलने लगे है।
भविष्य
अगर इंसान अब तक नहीं समझा तो भविष्य कुछ इस प्रकार होगा -
धर्म के नाम पर इंसान लड़ते रहेंगे एक दूसरे के खून के प्यासे हो जायेंगे खून खराबा और बलात्कार आम बात हो जायेगी। इंसान को इस धरती की परवाह नहीं रहेगी जंगल काटते रहेंगे। ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती रहेगी। नदिया सूखती रहेगी पानी की कमी और ज्यादातर मीठे पानी की स्त्रोत कचरे से भरने लगेगी। गंदगी इतनी फैल चुकी होगी कि चारों तरफ अनेको जीवाणु और बैक्टीरिया पनप रही होगी। जिनका इलाज़ संभव नहीं होगी पशु पक्षी सब लुप्त हो जाएंगे। ग्लोबल वार्मिंग के कारण धुर्वो के बर्फ पिघलने लगेंगे जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा। इससे पुरे धरती पर खारा जल फैल जाएगा और पृथ्वी का ज्यादातर हिस्सा जल से ढक जाएगी। पृथ्वी पर कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी गैसे बढ़ जाएगा, जिससे ओजोन परत मे काफी ज्यादा छेद होने के कारण लोगो को कई तरह की बीमारियाँ होना शुरू हो जाएगी।जिन जिन देशों में धर्म के नाम गृह युद्ध छिड़ी होगी उस पर बाहरी देश आक्रमण कर कब्जा करने की कोशिश करेगा। इससे बहुत से देशों की बीच लड़ाईयाँ छिड़ सकता है क्योंकि एक देश दूसरे देश की सहायता करने को जायेगा और परमाणु हथियारों का प्रयोग हो सकता है इससे लाखो लोग मारे जाएंगे। पैसे वाले लोग मंगल पर ग्रह पर अपना घर बनाने की तैयारी में रहेंगे। और इस तरह इंसान का पतन होता रहेगा। उस समय SAVE THE TIGER नहीं SAVE THE EARTH कहेंगे।
उपाय
गौतम बुद्ध ने कहा है , हजार खोखले शब्द से वह एक शब्द अच्छा है जो शांति लाये।
save water,save animal, save earth and save human.
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आगे पढ़े ....GAUTAM BUDDHA KI KAHANI
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