SURVIVAL OF THE FITTEST (योग्यतम का बचे रहना )

Survival of the fittest by Motivation quote and story in hindi

SURVIVAL OF THE FITTEST (योग्यतम का बचे रहना )

एक शहर में दो परिवार रहते थे। पहला अमीर और दूसरा बहुत गरीब था। अमीर परिवार का बेटा अच्छे स्कूल में पढ़ता था, जहां अमीर घरों के लड़के पढ़ते थे। उसके पास सभी साधन थे। उसके घर वाले उसे आसपास के लड़को के साथ खेलने नहीं देना चाहता था, क्योंकि वे गरीब थे। उसके पिताजी का मानना था कि वह दूसरे लड़के के साथ रहकर बिगड़ जाएगा इसलिए घर में लैपटॉप, मोबाइल और टीवी खरीदकर रख दिया था ताकि वो घर पर ही रहे। घर के सारे काम उनके नौकर करते थे। उसके पापा की कई फैक्ट्री थी जिसे उसके पापा के मुंशी संभालते थे। और गरीब परिवार का लड़का सरकारी स्कूल मे पढता था। वह बाहर मैदान में लड़को के साथ फ़ुटबॉल खेलने जाता था और अपने पिताजी के काम में भी हाथ बंटाता था। क्योंकि इसके पिताजी बहुत गरीब थे बहुत कठिनाइयों से ये ज़िन्दगी जी रहे थे।
एकदिन अमीर घर का लड़का पड़ोस के लड़को के साथ फ़ुटबॉल खेलने आ गया तभी उसके पापा वहां आए और कहने लगे इन गरीबों के साथ खेलोगे तो इनकी बाप की तरह मजदूरी करोगे और उसे वहां से लेकर चला गया।

इस घटना को  कुछ साल बीत गए। दोनों परिवारों के बेटे बड़े हुए। जो अमीर घराने से था उसका नाम अजय था और जो गरीब था उसका नाम किशन था दोनों अब अपनी जिम्मेदारी लेनी की उम्र मे था।
अजय बड़ा होकर बहुत आलसी हो गया था। वह अपने रूम में पड़ा रहता और मोबाइल चलाता रहता था। शाम को अपने रईस दोस्तो के साथ क्लब मे जाकर पार्टी करता और शराब पीता था। इस वजह से उसका सवास्थ्य भी बहुत जल्दी खराब हो जाता था।

दूसरी तरफ किशन बहुत मेहनती और होनहार लड़का था उसने अपने मेहनत से खुद की कंपनी बना लिया। किशन ने लगातार परिश्रम करके तरक्की की सीढ़ी चढ़ता गया। वह अपने शहर का सबसे अमीर आदमी बन गया था। उसके पड़ोस के लोग किशन की खूब तारीफ करते किशन के पिता अब सुखी जीवन बिता रहे थे। और उधर अजय से परेशान होकर उसके पिताजी ने उसपर जिम्मेदारी सौंपना चाहा, सोचा शायद वह काम में व्य्स्त होकर वो सुधर जाये। अजय को बुलाकर कहा बेटे अजय मेने तुम्हें सभी सुख सुविधाएं देकर पाल-पोश कर बड़ा किया। अब मेरी उम्र हो रही है, तो अब से तुम मेरी जगह ऑफिस जाओगे मेरा काम संभालोगे। अजय ने कहा लेकिन पापा मे कैसे सकूंगा मुझे तो आपके बिज़नस का अनुभव ही नहीं है। उसके पिताजी ने कहा मेरा मुंशी तुम्हें सब सिखा देगा। अजय ने कहा ठीक है पापा।
और अगले दिन से वह ऑफिस जाने लगा लेकिन उसने पहले कभी ये सब काम किया नहीं था इसलिए वह इतना दबाव सह नहीं पा रहा था और गलत -गलत फैसले ले रहा था। इसका फायदा मुंशी उठा रहा था। वह उसे अपने फायदे के लिए गलत सलाह देता और इस तरह से कुछ महीनों मे उनकी फैक्ट्री घाटे में चला गया। और इतना नुकसान हुआ की उसकी भरपाई में सारे पैसे खत्म हो गए। और इस कारण  फैक्ट्री बंद हो गई घर चलाने के लिए अजय की पिताजी ने नौकरी करनी चाही। लेकिन वह किसके यहाँ काम करेगा इसलिए वह सोचा मेरे पड़ोस मे ही एक लड़के की कंपनी बहुत उन्नति कर रही है चलो उससे ही काम मांगते है। वह बात करने उसके घर गया और अवाज लगाई किशन बेटे घर पर हो क्या ?
अंदर से अवाज आई ! हां कौन ?  उसने कहा मे अजय का पापा।
 किशन ने कमरे से बाहर आकर कहा अरे अंकल आप यहाँ कैसे?
अजय के पापा ने कहा - बेटे क्या बताऊ मेरी फैक्ट्री तो बंद हो गयी मै तुमसे काम मांगने आया हूँ। किशन ने कहा ठीक है अंकल, समझ सकता हूँ, कल से ऑफिस आ जाइएगा। तभी किशन के पिता वहां आए और कहा क्या बात है साहब जी ! अजय की पिता ने सर झुकाते हुए कहा - अब मे साहब नहीं रहा मेरे बेटे ने घाटा कर डूबा दिया फैक्ट्री को इतने अच्छे स्कूल मे पढ़ाया सभी सुविधाएं दी फिर भी वह नालायक हि रहा। लेकिन तुम्हरा बेटा इतना सफल कैसे? जबकि तुम्हारे पास कुछ सुख सुविधाएं भी नहीं थी और नाही सही शिक्षा।
किशन के पिताजी ने कहा - साहब सफल होने के लिए कड़ी मेहनत और कष्ट उठानी पड़ती है। जब तुम्हारा बेटा घर में सोकर आराम करता था तब मेरा बेटा मेरे साथ धुप में काम करता था। जब तुम्हारा बेटा विडियो गेम मे समय बर्बाद करता था, तब वो अपने पढ़ाई में लगा रहता था। मेने उसे जीवन की हर कठिन परिस्थति में उसे ढलना सिखाया। उत्तम शिक्षा सिर्फ मेहनत और कठिन परिस्थति देती है, वह तुम्हारे बेटे को घर के अंदर नहीं मिल सकती थी। तुमने अपने बेटे को सभी सुख सुविधाएँ देकर आलसी बना दिया। उसे संघर्ष करना नहीं सिखाया। मनुष्य को मजबूत संघर्ष और कठिन परिस्थति ही बनाती है। और तब अजय के पापा को अपने गलती का एहसास होता है।

शिक्षा : दोस्तों आजकल के माँ बाप अपने बच्चे को जरा सी भी विषम परिस्थति को झेलने नहीं देते हमेशा उसे छोटे छोटे चोटों से भी दूर रखते है। उनके अंदर साहस भरने की जगह डर डालते है। जैसे की दोड़ो मत गिर जाओगे,पेड़ पर मत चढ़ो चोट लग जाएगी, दूसरे की समस्या में मत पड़ो, बारिश में मत भिगो बीमार पड़ जाओगे, उसके साथ मत खेलो। माँ बाप उन्हें सही शिक्षा नहीं देकर उसे रोकते है। अरे वो खेलेगा नहीं तो शरीर मजबूत कैसे होगा ,वो बीमार नहीं पड़ेगा तो उसमे रोगो से लड़ने की मनोबल कहाँ से आएगी। किसी समस्या में नहीं फसेगा तो मानसिक स्तर पर दबाव झेलने की ताक़त कैसे आएगी। क्या नहीं करना है आप तो बताते है पर क्यों नहीं करना है और क्या करना है, ये भी आपको ही बताना है ये मत भूलिए। इसलिए इस कहानी का नाम 'योग्यतम का बचे रहना' रखा गया है जिसे चार्ल्स डार्विन ने प्रकृति का नियम बताया है अर्थात इस दुनिया में वही जिंदा रह सकता है जिसमे अनुकूलन का गुण हो, जो योग्य हो।

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आगे पढ़ें... https://www.indiamotivation.com/2019/07/gautam-buddha-ki-kuch-kahaniya.html


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