Acharya Chanakya ki #5 nitiyan
Acharya Chanakya ki 5 nitiyan
चाणक्य नीति #1
जल की बूँद यदि जलते तवे पर गिरे, तो भाप बनके उड़ जाती है। लेकिन यदि यही बूँद कमल के पुष्प पर गिरे, तो प्रकाश में मोती की तरह चमकती है।यदि किसी मृत व्यक्ति के मुख में गिरे , तो गंगा जल बनकर मोक्षदायिनी बनती है। परंतु किसी साँप के मुँह में गिरे, तो विष में घुलकर स्वयं विष बन जाती है।
प्रत्येक परिस्थति में जल तत्व एक ही है, अंतर है तो सिर्फ संगती का। संगती जब जल की बूंदो की नियति बदल सकती है। तो मनुष्य की क्यों नहीं, इसलिए सदा उचित संगती का ही चुनाव करे। क्योंकि यदि साँप की संगती करोगे तो, या तो डसे जाओगे या स्वयं विष बन जाओगे।
चाणक्य नीति #2
मटके का एक विशेष गुण होता है, ये अपने भीतर के शीतल जल से किसी का भी प्यास बुझा सकता है।
लेकिन अगर इसमें एक छोटा सा भी छिद्र हो जाय, तो ये अपना महत्व खो देता है। इसी प्रकार जिनपर बड़े-बड़े उत्तरदायित्व होते है, उन्हें ज्यादा सावधान रहना चाहिए। क्योंकि आचरण पर लगा एक भी दाग छवि को सदा के लिए धूल कर सकता है। इसलिए अपनी कमी को पहचानो और उनका नाश करदो इससे पहले की वो तुम्हारा नाश कर दे।
चाणक्य नीति #3
जीवन में यदि हम किसी समस्या का सामना करते है, तो जब तक हम उस समस्या के भीतर रहेंगे तबतक हम उस समस्या में उलझे ही रहेंगे। समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए हमें समस्या से दूर जाकर उस विषय में मनन करना होगा।
चाणक्य नीति #4
बड़े से बड़े रहस्य को सुलझाने के लिए एक छोटा सा प्रयास ही प्रयाप्त होता है। जैसे की एक वस्त्र को ही देख लीजिये, इसके एक किनारे का छोटा सा धागा भी हाथ में आ जाये तो पुरे वस्त्र को उधेड़ा जा सकता है। इसी प्रकार किसी शक्तिशाली अभेद्य किले को धवस्त करना हो तो उसके एक दुर्बल ईंट का ज्ञान होना ही प्रयाप्त होता है।
चाणक्य नीति #5
कांटा बनने में कोई बुराई नहीं है, परंतु चुभने से पहले यह जान लेना आवश्यक है, किसके पाँव में चुभ रहे हो।
ऐसे ही परिस्थति मनुष्य के समक्ष उत्पन्न हो सकती है, शत्रुता किसी से भी हो सकती है लेकिन उसपर प्रहार करने से पूर्व अच्छी तरह से जान लो शत्रु स्वयं से कितना अधिक या कम शक्तिशाली है। क्योंकि शत्रु यदि आपसे ज्यादा बलशाली निकला तो वो आपका नाश कर सकता है। इसलिए जब तक शत्रु की दुर्बलता का पता न चल जाये तब तक उसे मित्र बनाकर रखना ही अच्छा है।
आगे पढ़े....... कबीर दास
स्वामी विवेकानन्द
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