Mehnat rang lati hai
Mehnat rang lati hai (मेहनत रंग लाती है )
लेकिन उसका बेटा बहुत आलसी था, कोई काम करना नहीं चाहता था। इस बात से परेशान होकर वह व्यक्ति अपने एक दोस्त के पास गया और अपने बेटे के बारे में उसे बताया। उसके दोस्त ने उससे कहा परेशान होने की कोई बात नहीं तुम उसे मेरे पास भेज दो में उसे कुछ महीनों में ठीक कर दूंगा।
दो दोस्तों की कहानी संदीप माहेश्वरी द्वारा
उस धनी व्यक्ति ने घर आकर अपने बेटे को पास बुलाया और कहा देखो बेटा, में अब वृद्ध होता जा रहा हूँ।
अब तुम्हें सारा काम देखभाल करना होगा। क्योंकि तुमने कभी कोई काम किया नहीं है, इसलिए मेरे एक दोस्त के पास जाओ वह तुम्हे सारा काम समझा देगा। बस कुछ महीनों की बात है उसके बाद तुम वापस आ जाना।
मेहनत की कीमत
अगले दिन वह लड़का अपने पिता के मित्र के पास गया और कहा चाचा जी मुझे पिताजी ने आपके पास काम सिखने के लिए भेजा है। उस आदमी ने कहा ठीक है आओ बेटे में तुम्हे काम दिखा देता हूँ। उस लड़के को एक बड़ी बंजर सुखी जमीन के सामने ले जाकर कहा बेटे जाओ इस जमीन को जोतों। उस लड़के को बहुत गुस्सा आया फिर भी उसने गुस्से को रोकते हुए कहा पर चाचा जी पिताजी ने काम सिखने को कहा है और आप ये बेकार जमीन जोतने को दे रहे है और इसकी मिट्टी भी पूरी सख्त है। उस आदमी ने कहा बेटे में जो कह रहा हूँ उसे करो उसके बाद में काम के बारे में अच्छी तरह से समझा दूंगा।
वह लड़का न चाहते हुए भी काम पर लग गया और सोचा कुछ ही दिनों की तो बात है उसके बाद घर जाकर फिर आराम ही आराम करूँगा। पहले दिन उसका हालत खराब हो गया वह पूरी तरह से थक गया था और मन ही मन अपने पिता को कौस रहा था उसके बाद वह रात को खाना खाकर सो गया।
अगली सुबह वह फिर उस आदमी के पास गया और कहा चाचा जी आज क्या काम करना है ?
उस आदमी ने कहा बेटे आज आज बाजार जाकर कुछ बीज और पौधे लेकर आना और उस जमीन पर लगा देना। उसने ऐसा ही किया और रोज पेड़-पौधों में पानी डालता रहा और उसकी देखभाल करने लगा।
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है
इस तरह कुछ महीने बीत गए। और वह बंजर जमीन एक सुंदर बगीचे में बदल गया। तब उस आदमी ने उस लड़के को पास बुलाया और उसे समझाया देखो बेटे यह जमीन कितना बंजर थी। तुमने इस पर मेहनत करके एक सुन्दर बगीचे में बदल दिया। उसी तरह आलसी का जीवन बिना कर्म के व्यर्थ होता है। वह लड़का समझ गया की मेहनत रंग लाती है और उसने कहा चाचा जी में अब से में भी किसी काम में आलस नहीं करूँगा।
कुछ दिनों बाद वह धनी आदमी अपने बेटे से मिलने आया। उसका दोस्त उसे बेटे के पास ले गया। उस आदमी ने देखा उसका बेटा एक बहुत ही सुन्दर बगीचे के पेड़ - पौधों में पानी डाल रहा था। उस आदमी ने पूछा मित्र तुम्हारे यहाँ तो यह बगीचा नहीं था यह कब बनाया ?
दोस्त ने कहा यह बगीचा तुम्हारे बेटे ने ही बनाया है और उसके कामों की तारीफ करने लगा। यह सुन उस धनी व्यक्ति के आँखों से आंसू आ गया और उसने अपने मित्र को धन्यवाद दिया। और अपने बेटे को लेकर चला गया।
शिक्षा : दोस्तों हम अपने आलस के वजह से न जाने जिंदगी में कितने मौके गवा देते है। इसलिए हमें लगातार अपने सपनो के लिए परिश्रम करना चाहिए। किसी महान व्यक्ति ने कहा है की जो सोता है, वो खोता है और जो मेहनत करता है वह पाता है।
दोस्तों आप सबको हमारी प्रेरणादायक कहानियां कैसी लगती है हमें कमेंट में जरूर बताये हमें अच्छा लगता है।
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