KRODH PAR NIYANTRAN - क्रोध पर नियंत्रण
दादाजी ने कहा ठीक है अब से तुम एक काम करना, में जो कह रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो ! दादाजी ने उसे कुछ कीलें दिए और कहा अब जब भी तुम्हे गुस्सा आए, इन किलों में से एक कील तुम सामने वाली दीवार पर ठोक देना। इससे तुम्हारा गुस्सा किसी और चीज पर निकल जायेगा। वह मान गया और कुछ दिनों तक वैसा ही करने लगा। कई कई बार वह दिन में १०-१२ किले ले जाकर दीवार में ठोक देता।
लेकिन थोड़े दिनों बाद उसे यह सब बेकार लगने लगा। वह कील ठोकने के जगह अपने गुस्से पर काबू करना ही बेहतर समझा और अब वह अपने गुस्से पर काबू करने लगा। तब उसके दादाजी ने कहा - अब जब पुरे दिन में तुम्हें एकबार भी गुस्सा नहीं आये। तब तुम एक किले उठा देना इस प्रकार अब उसका गुस्सा पूरी तरह वश में होने लगा और वह दीवार से एक एक करके सभी कीले निकाल दिया। तब उसके दादाजी ने उसे दिवार के पास ले गया और कहा अब देखो वहां क्या दिख रहा है। लड़के ने कहा नहीं दादाजी अब वहां कुछ नहीं है, सभी किले निकल चुकी है।
तब उसके दादाजी ने कहा ठीक इसी तरह जब तुम गुस्सा करते हो तो सामने वाले इंसान को उससे तकलीफ होती है। उनके दिल में तुम्हारे गुस्से की याद रह जाती है तथा वह बात जब भी याद आती है तो दुःख होता है।
यह सुनकर उस लड़के को बहुत बुरा लगा और दौड़ता हुआ अपने माँ बाप के पास गया उनसे माफी मांगी और वादा किया की अब वह कभी गुस्सा नहीं करेगा।
शिक्षा : दोस्तों हमें अपने गुस्से पर सयंम रखना चाहिए क्योंकि जब हम गुस्से में होते है तो हमारे बुद्धि उस वक्त बंद पड़ जाती है और सही गलत का विचार किये बिना हम अचानक से कोई भी फैसला ले लेते है और गुस्से में लिया गया निर्णय ९०% गलत ही होता है।
क्रोध के बारे में संत कबीर दास जी ने भी अपने दोहे में कुछ इस प्रकार कहा है -
जहाँ दया वहाँ धर्म है , जहाँ लोभ वहाँ पाप
जहाँ क्रोध वहाँ काल है ,जहाँ क्षमा वहाँ आप।
दोहे का अर्थ : कबीर दास जी कहते है की जो मनुष्य किसी दूसरे के दुःख को अनुभव कर उसकी मदद करता है अर्थात उसपर दया करके उसकी सहायता करता है , वही सबसे बड़ा धर्म है। जो मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए दुसरो का उपयोग करता है एवं दूसरे की सम्पति को हड़पने की कोशिश में लगा रहता है, वह सबसे बड़ा पाप है। तथा जो मनुष्य तुरंत क्रोध में आकर निर्णय ले लेता है उसका विनाश होता है एवं जब हम किसी को उसकी गलती के लिए अपने भीतर से क्षमा कर देते है तो हमारे अंदर ईश्वर का वास होता है।
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