एक छोटी कहानी दृष्टिकोण की
एक बार एक पति-पत्नी गांव से शहर जाते है और वहाँ किसी किराये के घर पर रहना शुरू करते है। सुबह उठ कर पत्नी खिड़की के बाहर देखती है की दूसरे किसी के छत पर कपड़े सुख रहे है, जो की बहुत गंदे है। पत्नी पति से कहती है, न जाने कैसे लोग रहते है यहाँ, कपड़े भी ठीक से नहीं धोते, देखो तो कितने मैले है। पति उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है सिर्फ सुनकर चुप हो जाता है।
अगले दिन पत्नी फिर से जब, सुबह नहा कर आ रही होती है, तो देखती है, बाहर फिर से कोई मैले कपड़े सूखने दिए है। पत्नी फिर बोलती है - पता नहीं इनलोगों को कब समझ में आएगा थोड़े अच्छे से साफ करेंगे तो क्या होगा। पति फिर से अनसुना कर देता है। इसतरह वह कुछ दिन तक कपड़े को लेकर भला बुरा कहते रहती है।
एकदिन दोनों पति-पत्नी नाश्ता कर रहे होते है और तभी पत्नी ने खिड़की तरफ देखती है। पत्नी चौंकते हुई कहती है - वाह जी इन्हें बुद्धी आ ही गयी आज तो पूरे कपड़े चमक रहे है। जरूर किसी ने कुछ कहा होगा।
पति ने कहा- नहीं उन्हें किसी ने कुछ नहीं कहा।
पत्नी ने आश्चर्य से पूछा ? "तुम्हें कैसे पता ? "
पति ने कहा - में आज सुबह जल्दी उठ गया तो मैंने देखा खिड़की के कांच पर धूल लगी हुई थी। मेने कांच को साफ कर दिया। इसलिए तुम्हें कपड़े साफ नजर आ रहे है।
शिक्षा : दोस्तों हमारे जीवन में भी यही बात लागु होती है। हम दूसरों के गलतियों को हमेशा खोजते रहते है लेकिन कई बार गलती हमारी ही होती है। दुसरो की बुराई करने से पहले हमें खुद के अंदर देख लेनी चाहिए की हम कितने अच्छे है। हमें दूसरों को देखनी की दृष्टिकोण को बदलना चाहिए, एक ही परिस्थिति को देखने की अलग- अलग दृष्टि होती है।
दोस्तों आपको हमारी कहानी कैसी लगती है कमेंट में जरूर बताएं।
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