धैर्य की शक्ति - Dhairya ki shakti
एकबार एक सांप ने एक मेढक को खाने के लिए मुँह मे दबोच लिया। मेढक जोरों से चिल्लाने लगा और छूटने की कोशिश करने लगा। लेकिन वह छुट नहीं सक रहा था और साँप भी उसके छटपटाहट से निगल नहीं पा रहा था। तभी उस रास्ते से एक आदमी गुजर रहा था। मेढक ने उस आदमी से मदद मांगी। तभी सांप ने उस व्यक्ति की और अपने सर को न मे हिलाया। वह आदमी समझ गया कि मेढक की मदद करूं तो सांप भूखा रह जाएगा क्योंकि वह उसका आहार है और मेढक की मदद करना उसका कर्तव्य बनता है क्योंकि उसने उसको मदद के लिए पुकारा है। कुछ देर सोचने के बाद उस आदमी ने जाते-जाते कहा सांप ने तुम्हें जब पकड़ ही लिया है तब तुम छटपटाना और चिल्लाना बंद करदो। सांप से कहा तुमने इसे पकड़ लिया है तो निगलने से पहले छोड़ना मत। वह आदमी चले जाने के कुछ देर बाद सांप देखता है बहुत देर हो गयी है अब मेढक मर गया होगा। वह जैसे ही अपना मुँह खोलकर मेढक को छोड़ता है और दोबारा जैसे निगलने जाता है वह लंबी छलांग मार - मार कर भाग जाता है। सांप हैरानी से देखता रह जाता है। शिक्षा - मुसीबत के समय हम अपना धैर्य खो देते है और अस्थिर हो जाते है अगर थोड़ा सा संयम रखकर हम अपनी बुद्धी