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Showing posts from September, 2024

वृक्ष ईश्वर का दूसरा रूप है Vriksha iswar ka dusra roop hai

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  वृक्ष ईश्वर का दूसरा रूप है निस्वार्थ कर्म का सबसे अच्छा उदाहरण यदि कोई हो सकता है, तो वह वृक्ष है। यह हमें फल देता है, प्राण वायु देता है, छाया देता है लेकिन बदले मे हमसे कुछ नहीं चाहता है। यह कोई भी जाती धर्म देखे बिना हम सभी को Oxygen देता है इसलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम भी बिना जाती धर्म देखे बिना इनका रोपण करे देखभाल करे। वृक्षारोपण से पुण्य काम और कुछ हो ही नहीं सकता 

धैर्य की फिल्म dhairya ki film - ek choti kahani

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एक बार एक थिएटर में एक शार्ट फ़िल्म दिखाई गई । जब फ़िल्म शुरू हुई तो सामने एक सफेद रंग का पंखा दिख रहा था। आस पास कोई हलचल नही सिर्फ रुका हुआ एक सफेद पंखा, ये दृश्य करीब 6 मिनट तक चलता रहा तो लोग आपत्ति जताने लगे कुछ शिकायत करने लगे। कुछ तो उठ कर जाने लगे। करीब 6 मिनट के बाद सीन का कैमरा उस पंखे से नीचे आता है एक बेड पर जिसपे एक अपाहिज बच्चा लेटा हुआ और ऊपर की ओर देख रहा होता है जिसकी रीढ़ की हड्डी में फैक्चर की वजह से वह हिल डुल भी नही सक रहा था।  फिर एक आवाज आती है " अभी इस शार्ट फ़िल्म में मात्र 6 मिनट तक एक ही दृश्य लगातार दिखाया गया आप सभी को, उन 6 मिनटों में कई लोग चिल्लाने लगे धैर्य नही रख पाए और कई उठ कर जाने लगे, दूसरी तरफ एक बच्चा है जो पैरालाइज्ड है और वो अपने जीवन के ज्यादातर घंटे बस इसी दृश्य को ही देखता रहता है। कभी-कभी हमें खुद को दूसरों की जगह रखकर यह समझने की ज़रूरत होती है कि हमें जो ईश्वर ने दिया है उसकी महत्ता कितनी है और हमें ऐसे स्वरूप को प्रदान करने के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए। हमेशा अपनी समस्याओं को उनसे तुलना करें जो हमसे कई गुना समस्याओं से घिरे ह